फतेहपुर में 12वीं के छात्र आरिश खान की हत्या: जन आक्रोश और पुलिस कार्रवाई के बीच इंसाफ की मांग जोरों पर

মন্তব্য · 172 ভিউ

फतेहपुर में छात्र आरिश खान की हत्या ने मचाई सनसनी। 25 जुलाई 2025 को हुई इस वारदात के बाद प्रदर्शन, पुलिस गिरफ्तारी, ??

फतेहपुर, उत्तर प्रदेश | 29 जुलाई 2025, सुबह 10:07 AM IST

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। 25 जुलाई 2025 को महर्षि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के बाहर 12वीं कक्षा के छात्र मोहम्मद आरिश खान की बेरहमी से हत्या कर दी गई। तीन बाइक सवार युवकों द्वारा लाठियों से पीट-पीटकर की गई इस वारदात ने न केवल स्थानीय समुदाय को गहरा सदमा पहुँचाया, बल्कि पूरे राज्य में सांप्रदायिक तनाव और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं। घटना के चार दिन बाद भी जनता का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है, और सोशल मीडिया पर #JusticeForArishKhan ट्रेंड कर रहा है।

 

घटना का विवरण

25 जुलाई 2025 की दोपहर को आरिश खान स्कूल से निकलकर घर की ओर जा रहे थे, तभी तीन नकाबपोश युवकों ने उन पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने लाठियों और अन्य हथियारों से आरिश पर हमला किया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुँचाया, लेकिन चिकित्सा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। घटनास्थल पर लगे CCTV कैमरों में हमले की रिकॉर्डिंग मिली है, जो पुलिस जांच का आधार बनी।

 

जनता का गुस्सा और मांग

घटना के बाद से फतेहपुर में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। 28 जुलाई 2025 को हज़ारों लोगों, खासकर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों, ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और "जस्टिस फॉर आरिश खान" के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह हत्या सुनियोजित थी और पुलिस ने शुरूआती जांच में ढिलाई बरती। लोग निम्नलिखित मांगें कर रहे हैं:

- दोषियों को फाँसी की सजा

- निष्पक्ष और पारदर्शी जांच, जिसमें सांप्रदायिक रंग न डाला जाए

- मामले को सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जाए

- मीडिया और नेताओं से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील

 

सोशल मीडिया पर @ProfNoorul जैसे यूजर्स ने इस घटना को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश की है, जिसमें उन्होंने लिखा, "फतेहपुर के आरिश खान को इंसाफ दिलाने के लिए हम सब मिलकर आवाज़ उठाएँ। हो सकता है सोती हुई मीडिया और सेकुलर नेता जाग जाएँ।"

 

पुलिस की कार्रवाई

फतेहपुर पुलिस ने घटना के तुरंत बाद कार्रवाई शुरू की और 25 जुलाई को ही तीनों नामित आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। थाना कोतवाली नगर में मारपीट का मामला दर्ज किया गया, जो बाद में हत्या में परिवर्तित हो गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर जांच आगे बढ़ाई गई है। पुलिस ने सोशल मीडिया के माध्यम से बयान जारी कर कहा कि वे मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

 

हालांकि, 28 जुलाई को हुए बड़े प्रदर्शन के बाद पुलिस ने एक और बयान जारी कर जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की। पुलिस का कहना है कि वे सभी पहलुओं से जांच कर रहे हैं और जल्द ही चार्जशीट दायर की जाएगी। फिर भी, कुछ स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस जांच में पक्षपात कर रही है और फर्जी बयानों पर भरोसा कर रही है।

 

सांप्रदायिक संदेह और व्यापक संदर्भ

यह घटना तब सामने आई है जब उत्तर प्रदेश में सामुदायिक तनाव से जुड़े मामलों में वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पिछले वर्षों की तुलना में सामुदायिक तनाव के मामलों में 20% की वृद्धि हुई है। फतेहपुर की यह घटना कई लोगों के लिए सांप्रदायिक हिंसा का एक और उदाहरण बन गई है, खासकर जब हाल ही में सिद्धार्थनगर में मदरसों और मस्जिदों को अवैध बताकर तोड़े जाने की खबरें चर्चा में थीं।

 

मीडिया और नेताओं की चुप्पी

स्थानीय मीडिया ने इस घटना को सीमित कवरेज दी है, जिसे लेकर लोग नाराज़ हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने आरोप लगाया कि मुख्यधारा के चैनल और सेकुलर नेता इस मुद्दे से दूर भाग रहे हैं, क्योंकि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर जन दबाव नहीं होता, तो शायद पुलिस भी इस मामले को दबाने की कोशिश करती।

 

आगे का रास्ता

फिलहाल, यह मामला जन आंदोलन और पुलिस कार्रवाई के बीच संतुलन की कसौटी बन गया है। अगर पुलिस जांच में पारदर्शिता नहीं लाती और दोषियों को सजा नहीं दिलाती, तो यह आंदोलन और तेज़ हो सकता है। दूसरी ओर, अगर जांच में देरी हुई या सांप्रदायिक रंग चढ़ा, तो फतेहपुर का माहौल और बिगड़ सकता है।

 

निष्कर्ष

मोहम्मद आरिश खान की हत्या केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, पुलिस सुधार, और सांप्रदायिक सौहार्द की बड़ी लड़ाई का प्रतीक बन गई है। जनता की मांग है कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए। यह देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती को कैसे संभालता है और क्या वास्तव में इंसाफ की जीत होती है। 

 

মন্তব্য